Chhath Parv : Festival Of Bihar

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About : अइसे ता छठ के बारे में का बिहारवासी,का भारतवासी बल्कि अब ता पूरा दुनिया जानत बा ,मानत ब. लेकिन शायद अबहियो कुछ लोग बा जे छठ पूजा के महानता से अनजान बा। एगो छोटा सा कोशिस करे जा रहल बानी हम छठ पूजा के बारे में बतावे के लिखे के ,अगर कौनो भूलचूक हो जाये लिखे में ता रउवा लोग तनिका सहयोग करब कमेंट के जरिये हमके बताके ,समझाके ओह गलती के सही करे में।
धन्यवाद

छठ पर्व : छठ पर्व कार्तिक शुक्ल महीना के सष्टि के दिन मनावे जाये वाला एगो  हिंदुत्वा पर्व हा। एह पर्व में सूर्य देवता के उपासना कइल जाला अउरी ई पर्व ४ दिन तक चलेला ,पाहिले ई पर्व खाली पूर्वी भारत के प्रदेश
बिहार,झारखण्ड ,पूर्वी उत्तरप्रदेश अउरी नेपाल भर में मनावल जात रहे।  लेकिन अब धीरे धीरे छठ पर्व अब पूरा दुनिया ,में मनावल जा  बा


एह पर्व के नाम छठ परल काहेकि ई हिंदी केलिन्डर  मुताबिक कार्तिक महीना के छठा (सष्टि)के मनवाल जाला ,जवन दियरी के ठीक छौ दिन बाद परेला।  छठ पूजा चार दिवसीय पर्व हा , जउना में वर्ती ३६ घण्टा के व्रत राखेला लोग. चारो दिन के व्रत के अलग अलग नाम दिहल बा।


पहिला दिन

नहाय खाय :पहिला दिन कार्तिक माष के शुक्ला पक्ष के चतुर्थी नहाय खाय के रूप में मनावल जाला।  सबसे पाहिले घर दुआर के साफ़ सफाई ,लिपाई पोताई कके सुध कइल जाला ,ओकरा बाद छठ व्रत करेवाला व्यक्ति नहा धोआ के पवित्र तरीका से शुद्ध शाकाहारी भोजन (कोहरा के सब्जी ,चावल अउरी चना दाल  ) से नेवान कइके व्रत के शुरुवात करेला। घर के बाकी लोग वर्ती के   भोजन कइला के बादे भोजन करेला।

दुसरका दिन

खरना : दुसरका दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन वर्ती दिन भर व्रत भुखला के बाद साँझ पहर में पूजा अर्चना कइला के बाद भोजन करेला ,जेकरा के खरना कहाला।  एह दिन पूजा के बाद घर के हर सदस्य नहा धो के चाहे हाथ पैर धो के सुद्ध होक पूजा अस्थलि पर जेक माथा टेक उहा से प्रशाद लेवल। प्रशाद के रूप में मीठा (गुड) से बनल खीर अउरी घीउ लागल रोटी मिलेला। एह पर्व के के समय में नमक मशाला प्याज लहसुन के उपयोग घर में वर्जित कई दियाला अउरी साफ़ सफाई, शुद्धिकरण पर विशेस ध्यान दिहल जाला


तिसरका दिन

संध्या अरग : तिसरका दिन कार्तिक मास  शुक्ल सष्टि के दिन भर वर्ती अउरी घर  लोग प्रशाद बनावे में लागल रहेला लोग ,  जउना ठेकुआ खजुरिया  प्रमुख होला ,बाकी परशादी में केला संतरा सेव अनानास गगल ( बड़का निम्बू ) अउरी ऊख राखाला। दिन भर के पूरा तैयारी के बाद साँझ पहर में  नाहा धोआ के नया कपडा पहिन   सारा परसादी अउरी पूजा के अन्य सामग्री एगो बांस के दौरा अउरी सूप में रखके घाट ( नदी  किनारे ,पोखरा , किनारे ) पर जाला लोग।साँझ पहर में वर्ती लोग पियरी ( पीला वस्त्र ) पहिरले सपरिवार सहित जब दउरा लेले छठ घाट जाला लोग ता नजारा देखते बनेला। काफी मनमोहक दृश्य रहेला , में जब छठी माई के गीत गावत जाला लोग ता सारा वातावरण भक्तिमय हो जाला। घाट पर पहुंच के वर्ती जल में खड़ा होक दूध अउरी जल से सूरज देवता के अरघ देहेला लोग. ओकरा बाद सूप में राखल परशादी से छठीं माई के अरघ दियाला। एह पूरा पूजा पाठ में तक़रीबन २ से ३ घंटा के समय लागेला।

घाट पर अलगे नजारा बन जाला यह दिन ,छोट बड़ , अमीर गरीब सब एके रंग में रंगल रहेला लोग,छठी माई के भक्ति रस मे. घाट पर बाजत छठी माई के गीत अउरी बचवन सब फोडल पड़ाका के आवाज से पूरा आसमान गूंज उठेला। एह वातावरण में जउन एहसास ,जउन खुसी , जउन आनदं मिलेला ओहके बयान कइल कठिन बा।


चउथका  दिन 



प्रातः अरघ :  चउथका दिने कार्तिक मास शुक्ल सप्तमी के भोर में किरिन फूटे (सर्योदय )  पाहिले ही वर्ती लोग सपरिवार परशादी अउरी पूजन सामग्री के साथ घाट पर पहुंच जाला लोग. वर्ती लोग कमर भर पानी में खड़ा होके सूरज देवता के उगे के पायरा जोहेला लोग. पहिलका किरिन उगला के साथे यथावत विधिवत तरीका से दुध  जल से सूरज देवता के अउरी पकवान अउरी फल से भरल सूप से छठी माई के अरघ देवेला लोग। पूजा संपन्न भइला के पश्चात वर्ती चनामृत (कच्चा दूध ) उपवास तुड़ेला लोग अउरी प्रशाद ग्रहण करेला लोग।




नोट :


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